क्या आप सभी को पता है महालया पूजा के बारे में ठीक दुर्गा पूजा से पहले महालय पूजा क्यों मनाया जाता है 2022 में कौन से तारीख को महालया पूजा मनाया जाएगा इसके बारे में आप सभी को हम बताएंगे
महालया दुर्गा पूजा बंगाल शहर में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है इस दिन दुर्गा का रंग चढ़ता है और पंडालों के तैयारी शुरू हो जाती है जानिए इसके बारे में इतिहास क्या है महालया पूजा के बारे में
महालया पूजा क्या है
हिंदू शास्त्रों के अनुसार महालया और पित्त पक्ष अमावस्या एक ही दिन मनाया जाता है महालया के दिन मूर्तिकार मां दुर्गा की आंखें तैयार करता है इसके बाद मूर्तियों का अंतिम रूप दिया जाता है दुर्गा पूजा में मां दुर्गा की प्रतिमा सबसे विशेष महत्व माना गया है और पंडालों को शोभा बढ़ाती है दुर्गा पूजा आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है
महालया का महत्व क्या है
महालया क्या महत्व है कि महिषासुर नाम के राक्षस के सर्वनाश के लिए महालया आने के दिन मां दुर्गा का आवाहन किया गया था कहा जाता है कि महालया अमावस्या की सुबह सबसे पहले पितरों को विदाई दी जाती है फिर शाम को मां दुर्गा कैलाश पर्वत से पृथ्वीलोक आती है और पूरे 9 दिनों तक यहां रहकर धरती वासियों पर अपनी कृपा की अमृत वर्षा आती है
महालया का इतिहास
इतिहास की बात करें तो हम इसी दिन दुर्गा पूजा की तैयारी शुरू हो जाती है देश भर में नवरात्र को लेकर धूमधम होती है वही बंगाल में दुर्गा पूजा का इस दिन बहुत ही इंतजार रहता है इसी दिन देवी दुर्गा के राक्षस वध की कहानी को सभी को सुनाया जाता है और अनेकों प्रकार के दुर्गा रूपों का दर्शन दर्शाया जाता है
मां दुर्गा का मूर्ति बनाने वाले कारीगर युद्ध मूर्ति बनाने में काम महालया से कई दिन पहले ही शुरू कर देते हैं लेकिन मोहल्ले के दिन सभी मूर्तियों को लगभग तैयार कर छोड़ दिया जाता है देवी दुर्गा के शक्तिशाली बनाकर महिषासुर के संघार किया जाता है
पित्र पक्ष के आखिरी दिन भी इसी सर्वप्रथम आवश्य भी कहा जाता है इसी दिन सभी मित्रों को याद कर उन्हें तर्पण दिया जाता है ऐसा माना जाता है पितरों की आत्मा तृप्त होती है और खुशी खुशी विदा होती है इसी दिन के बाद याद का दिन खत्म हो जाता है और अच्छे दिन शुरू हो जाते हैं