छठ पूजा- जानिए छठ पूजा कैसे मनाया जाता है

Chhaith; Chhath Parva; Chhath Puja; Dala Chhath; Dala Puja,

छठ पर्व दिवाली के 6 दिन के बाद मनाया जाता है यह पर्व उत्तर भारत के राज्य बिहार झारखंड उत्तर प्रदेश एवं दिल्ली मैं बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है चलिए जानते हैं छठ पर्व कब आता है

360 F 393307940 ay4IZq17SyFcyreMDBXJDRTbZfppDXud छठ पूजा
छठ पर्व

छठ पर्व कार्तिक सिल्क आष्टी से कार्तिक संसद तक मनाया जाने वाला यह पर्व 4 दिनों तक चलने वाला लोक पर्व है, इस पर में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा एवं उन्हें अर्घ देने की विधान है छठ पर भारत में वैदिक काल से मनाया जाने वाला है बिहार का सबसे प्रसिद्ध पर्व है अष्टमी तिथि के प्रमुख व्रत को मनाए जाने के कारण इस पर्व को छठ कहा गया है, इस दौरान व्रत धारी महिलाएं 36 घंटे का व्रत रखकर श्रद्धा पूर्वक छठ की पूजा की जाती है

छठ पूजा का महत्व

छठ पूजा अनुष्ठानों का उद्देश्य प्रमाण दिए तथा सौर ऊर्जा जलसे के लिए भक्ति के शरीर और दिमाग को प्रेरणा देता है केवल सूर्योदय और सूर्यास्त सूर्यास्त के दौरान ही अधिकांश मनुष्य सुरक्षित रूप से ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं यही कारण है कि छठ पूजा के त्यौहार में देर शाम और सुबह जल्दी उठकर अरग देने की परंपरा की गई है

आइए जानते हैं इस छठ पर्व के 4 दिन के बारे में कैसे मनाया जाता है और किन बातों को ध्यान में रखकर छठ पूजा की जाती है

प्रथम दिन यानी नहाए खाए छठ पूजा

छठ पर्व का प्रथम दिन को हम नहाए खाए छठ के नाम से जाना जाता है इस दिन सर्वप्रथम घर की साफ सफाई करके पवित्र किया जाता है उसके उपरांत वृत्ति औरतें अपने निकटतम नदी तथा तालाब में जाकर स्वच्छ जल से स्नान करती है, व्रती महिलाएं इस दिन एक बार खाना खाती है तथा तला हुआ खाना इस व्रत में पूर्ण रूप से वर्जित है यह खाना मिट्टी के बर्तन में पकाया जाता है,

दूसरा दिन- खरना और लोहंडा

छठ पूजा के दूसरा दिन-करना तथा लोहंडा के नाम से जाना जाता है इस दिन व्रती महिलाएं पूरे दिन उपवास रहती है और सूर्यास्त से पहले पानी के 1 दिन तक ग्रहण नहीं करते हुए शाम को चावल गुण और गन्ने के रस का प्रयोग कर खीर बनाई जाती है इन्हीं दो चीजों को पुनः सूर्योदय के समय घर में एकांतवास करते हुए ग्रहण किया जाता है,

और सभी परिवार मित्रों और रिश्तेदारों को प्रसाद के रूप में खीर रोटी दे जाता है इस प्रकार संपूर्ण प्रक्रिया को करना कहते हैं इसके उपरांत प्रति महिलाएं अगले 36 घंटों के लिए निर्जला व्रत धारण कर लेती है मध्य रात्रि को वृद्धि पूजा के लिए विशेष प्रसाद रूप में ठेकुआ नमक पकवान बनाया जाता है

तीसरा दिन- संध्या अर्ध

छठ पर्व का तीसरा दिन जिसे संध्या अर्ध के नाम से जाना जाता है इस दिन सभी परिवार मिलकर पूजा की तैयारी करते हैं और छठ पूजा के विशेष प्रसाद के तौर पर जैसे ठेकुआ चावल के लड्डू इत्यादि बनाए जाते हैं छठ पूजा के लिए एक बांस की बनी हुई टोकरी जिससे दौरा करते हैं इसमें पूजा की प्रसाद फल डालकर देव कार्य में रख कर दिया जाता है

पूजा अर्चना करने के बाद शाम को एक रूप में नारियल पांच प्रकार के फल और पूजा का अन्य सामान लेकर दौरा में रखकर घर का पुरुष अपने हाथों में उठाकर छठ घाट पर ले जाते हैं छठ घाट यानी जहां पर छठ मैया की परिक्रमा बनाई जाती है वहां पर जाकर संपूर्ण आयोजन महिलाएं प्रातः छठ मैया के गीतों को गाते हुए घाट की ओर जाती है

नदी के किनारे जाकर छठ माता का चोरा बनाकर उस पर पूजा का सारा सामान रखकर माजा अर्पित की जाती है एवं दीप प्रज्वलित किया जाता है सूर्य से कुछ समय पहले पूजा का सारा सामान लेकर घुटने तक पानी में जाकर खड़े होकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ देकर पांच बार परिक्रमा की जाती है

चौथा दिन- उषा अर्घ्य

इस महान पर्व का 14 दिन सबसे अंतिम दिन होता है सुबह सूर्य को अर्घ्य देकर मनाया जाता है सूर्योदय से पहले व्रती महिलाएं घाट पर पहुंचकर सभी परिजनों के साथ पहुंचती है,

और उगते हुए सूरज को अर्घ देकर पूजा की समाप्ति करती है

इस तरह से वृद्धि महिला 4 दिन अपनी छठ पूजा बड़े ही उत्साह के साथ मनाती है परिजनों के साथ यह पर्व पूरे उत्तर भारत में बिहार में प्रसिद्ध है

Leave a Comment

close
Thanks !

Thanks for sharing this, you are awesome !

Discover more from New Year Sms

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading